मानव मन को चिंतित होने के लिये बस एक कारण चाहिये होता है। समस्या यह है कि चिंता करने के इन कारणो के अनगिनत श्रोत है और हम ऐसे कारणो से चिंतित होते रहते है जो कि चिंता का कोई कारण ही नही होते।
अतंरजाल पर , अखबारो मे ऐसा ही एक कारण आते रहता है कि मोबाईल फोन से कैंसर हो सकता है। शोध के बाद शोध और ऐसी अनगिनत शोधो के बाद भी कैंसर और मोबाईल फोन के बीच मे कोई रिश्ता नही पाया गया है। लेकिन लोगो की चिंता जारी है !
देखते है कि विशेषज्ञ क्या राय रखते है।
विशेषज्ञो की राय से पहले कुछ मेरी भी:
- आम आदमी जैसे ही विकिरण (Radiation) का नाम सुनता है, चिंतित हो जाता है। लेकिन कई तरह के विकिरण होते है, इनमे से अधिकतर हमे कोई भी हानी, कोई भी क्षति नही पहुंचाते है।
- सबसे आम विकिरण प्रकाश है ! जी हां प्रकाश जो सूर्य मे हो रही परमाणु संलयन (Atomic Fusion) की प्रक्रिया से आता है। परमाणु संलयन याने वही प्रक्रिया जो हायड़्रोजन बम मे होती है।
- रेडीयो तरंग(Radio Wave), माईक्रोवेव(Microwave) ये भी विकिरण है लेकिन सृष्टी की उत्पत्ती के समय से मौजूद है। ये दोनो विकिरण हानिकारक नही है। कुछ विकिरण जैसे X तरंग(X ray) हानिकारक है लेकिन अधिक मात्रा मे X तरंग से प्रभावित होने पर।
- मोबाईल फोन जिन तरंगो का प्रयोग करते है वे माइक्रोवेव प्रकाश(Microwave Light) और रेडीयो तरंग(Radio Wave)के मध्य की तरंगे(Wave) हैं। ये न केवल सुरक्षित है बल्कि इनकी मात्रा भी काफी कम है। मोबाईल फोन को दी जाने वाली उर्जा हमे कोई भी हानी पहुचाने के लिये नगण्य होती है।
- मोबाईल फोन और स्वास्थ्य के बिच के संबधो के लिये काफी सारे शोध हुये हैं, किसी भी शोध मे स्वास्थ्य से कोई भी संबध नही पाया गया है। मेरा मतलब सीधे संबध से है ना कि मोबाईल फोन पर बाते करते हुये गाड़ी चलाने, या मशीनो पर काम करने से है।
- पिछले कुछ वर्षो मे मोबाईल फोनो की संख्या पूरे दूनिया मे एक विस्फोटक रूप से बढी़ है लेकिन उस रफ्तार से कैंसर की रफ्तार नही बढी़ है। मोबाईल फोन और कैंसर मे थोड़ा सा भी रिश्ता होता, तब हमे कैंसर के रोगियो मे एक नाटकिय बढोत्तरी दिखायी देती, लेकिन ऐसा कुछ नही है।
अब कुछ विशेषज्ञो की राय मेरीलैंड विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रिकल और कम्प्युटर इंजीनियरिंग के प्रोफेसर क्रिस्टोफर डेवीस की राय सुन लीजिये ! यह भाग १ है।
और ये रहे भाग २, भाग ३, भाग ४ तथा भाग ५ ।
अरे लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञो की राय कहां है ?
ये यहां पर पढ़ लिजिये !
इस लेख को पढ़ने के बाद मुझ पर डंडा लेकर चढ़ दौड़ने से पहले कृपया उपर दिये विडीयो और लेख को अच्छे से देंखे/पढे! वैज्ञानिक तर्को के साथ आये, विश्वसनिय और वैज्ञानिक संदर्भ दे, तभी चर्चा मे आनंद आयेगा!
डिस्क्लेमर : मै एक इंजिनियर हूं और मुझे इस लेख के लिये किसी मोबाईल कंपनी ने कोई कमीशन नही दिया है 🙂
अभी कुछ दिन पहले ZEE News पर AIIMS की एक रिपोर्ट के हवाले से यह दिखाया गया था कि लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर ब्रेन कैंसर होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।
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कैंसर केवल ionizing विकिरण से हो सकता है। मोबाईल से ऐसे कोई विकिरण नहीं निकलते।
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पर क्या मोबाइल से निकलने वाली “रेडियेशन” थोड़ा बहुत harmful हो सकती है, जैसे कि मैने एक बार अखबार मे यह पढा था कि मोबाइल रेडिएसन hart के लिये कुछ मात्रा मे harmful होती है…और यह हार्ट की लाईफ को कम करती है…और क्या ये पशु,पक्षियो के लिये भी harmful है अथवा नही मैने एक न्यूज आर्टिकल मे पढा था कि मो रेडिएसन की वजह से मधुमख्खी का अस्तित्व 150-200 शाल के अंदर समाप्त हो। जाएगा,और पक्षीयो के विलुप्त होने का कारण भी यही है…???
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नहीं मोबाइल रेडियेशन मनुष्य या प्राणी के लिए हानिकारक नहीं है।
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पढ़ कर अच्छा लगा कि आप किसी कंपनी के अजेंट नहीं हैं
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Reblogged this on oshriradhekrishnabole.
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निसन्त जी आपका कह्ना बिल्कुल सहि है बिमारि केन्सर नहि है बुरि आदत है जिस से दुर्घट्ना , बुरि आदत है
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आपने डिस्क्लेमर लिखकर अच्छा किया, नहीं तो बहुतेरे जन आपको किसी कंपनी का एजेंट समझते. 🙂
मोबाइल फोन से कैंसर होना बहुत दूर की कौड़ी है. इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. लेकिन मैं यह मानता हूँ कि मोबाईल फ़ोनों के अत्यधिक उपयोग से श्रवण क्षमता प्रभावित हो सकती है और अनिद्रा, तनाव उत्पन्न हो सकता है. नई पीढ़ी के लिए मोबाइल उनके शरीर के अंग की तरह हो गया है और इससे कुछ पल का भी अलगाव उनके लिए असहनीय हो जाता है.
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बहुत जरुरी आलेख हमारी आँखें खोलने में सक्षम,
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